Thursday, October 13, 2011

संजीव भट्ट मामले में एन आई ए की गोपनीय जाँच के बाद कांग्रेस की बोलती बंद क्यों??

भारत के इतिहास मे पहली बार किसी भी राज्य सरकार के अधिकारों को चुनौती देते हुए केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने संजीव भट्ट की पत्नी के पत्र को आधार बता कर संजीब भट्ट के मामले की जाँच के लिए केन्द्रीय जाँच एजेन्सी एन आई ए की एक टीम भेजी . ये सरकार किसी भी राज्य सरकार के अधिकार का खुला अत्रिक्रमण था. लेकिन गुजरात सरकार ने कोई विरोध नहीं किया. क्योंकि गुजरात सरकार इस मामले मे सिर्फ और सिर्फ एक क़ानूनी प्रक्रिया का पालन कर रही है ..

एन आई ए की टीम ने संजीव भट्ट के उपर लगे सभी आरोपों की अपने स्तर पर जाँच की. गुजरात सरकार से उनको जितने भी कागजात चाहिए वे सब मुहैया करवाए. फिर एन आई ए की टीम दिल्ली लौटकर चिदम्बरम को अपनी रिपोर्ट सौपी, इस रिपोर्ट में क्या है ये तो किसी को नहीं पता लेकिन इस रिपोर्ट के बाद चिदम्बरम की बोलती जरुर बंद हों गयी ..चिदम्बरम ही नहीं बल्कि दूसरे कांग्रसी नेता भी अब चुप हों गए है.

अदालत मे संजीव भट्ट के खिलाफ क्या सुबूत पेश किये गए .

१- संजीव भट्ट के खिलाफ सबसे बड़ा सुबूत उनके मोबाईल की लोकेशन और उनकी कॉल डिटेल है .

भट्ट को एक कांस्टेबल को झूठे हलफनामे में हस्ताक्षर कराने के लिए धमकाने और दबाव डालने के आरोप में 30 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था।

कांस्टेबल के डी पंत की ओर से कुछ महीने पहले दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, उसको भट्ट 16 जून की रात प्रदेश कांग्रेस चीफ और पोरबंदर से विधायक अर्जुन मोधवाडिया के आवास पर जबरजस्ती ले गए थे।

फोन कॉल के रिकॉर्ड बताते हैं कि मोधवाडिया ने पंत की ओर से कथित तौर पर हलफनामा तैयार करने वाले वकील को उस दिन मध्यरात्रि के बाद कई बार फोन किया और तड़के करीब तीन बजे एसएमएस भी भेजे।

फोन कॉल रिकॉर्ड तथा वकीलों और नोटरी के बयानों से पुष्टि होती है। यह दर्शाता है कि भट्ट के साथ ही कांग्रेस नेता भी अपराध को अंजाम देने में संलिप्त हैं।

जज ने भी जानना चाहा है मोधवाडिया जैसे बड़े कांग्रेस नेता को ऐसे वक्त पर एक मामूली कांस्टेबल पंत से बार बार मोबाईल पर बात करने की क्या जरूरत थी ?

क्या इससे ये इससे साबित होता है कि कांस्टेबल 'मनगढंत और झूठे' हलफनामे पर हस्ताक्षर करने का इच्छुक नहीं था।

पन्त ने ये भी आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता ने उन्हें आश्वासन दिया था कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है और उन्हें भट्ट के निर्देशों को मानना चाहिए।

और मोदी सरकार बहुत जल्द गिर जायेगी फिर हम सरकार बनायेंगे .

२- संजीव भट्ट के उपर जितने भी पुराने आरोप लगे है वे सभी सही पाए गए है उन्हे किसी भी मामले मे अदालत से कभी राहत नहीं मिली ..

३- आखिर संजीव भट्ट १० साल तक चुप क्यों रहे ? उनके घर पिछले कई  सालो से कांग्रेसी नेताओ का आना जाना क्यों. ?????

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